दर्द आया, तड़प आई
अश्क आए, याद आई
फिर रुकते-रुकते साँस भी आई
सब आए, बस तुम ना आए
सब आए, एक तुम ना आए
सब आए, बस तुम ना आए
सब आए, एक तुम ना आए
तेरे बिना मेरा ग़म भी अधूरा है
सबकुछ हो के भी कुछ नहीं पूरा है
तेरे सिवा सबकुछ तो लिखा है
जाने ये कैसा नसीब मेरा है
तक़लीफ़ ही मुझको रास आई
तनहाई भी अब मेरे पास आई
ज़ख्म आए, तड़प आई
शाम आई, रात आई
फिर जगते-जगते ख़ाब भी आए
सब आए, बस तुम ना आए
सब आए, एक तुम ना आए
सब आए, बस तुम ना आए
सब आए, एक तुम ना आए