Javed Ali
Sawan Mein

Hmm hm hm hmm hm hm ho o o ho o ho o ho
सावन में दिल क्यूं
ये होता है नम
सावन में, दिल क्यूं।
ये होता है, नम।
किस बात, की है।
खुशी, कैसा गम।

तुमको भी, लगता।
है, कुछ तुम में कम।
Ho o…
तुमको भी, लगता।
है, कुछ तुम में कम।
जा जा के, याद। आ रहे हो, सनम।

O mahiya o mahiya o mahiya o mahiya
O ho ho o o ho oh o o ho oh o o oh o o mahiya

बारिश की बूंदों।
में हरक़त, है ऐसी।
बदन पे गिरे, तो।
मचल, जाता है।

अरमान, दिल के।
संभलते, नहीं हैं।
हाँ दिल, बारिशों में।
बहक, जाता है।
मिटा दे, आ ये।
दूरियों का, सितम।
कर दे, फनाह फासले, हम क़दम।

O mahiya o mahiya o mahiya o mahiya
O ho ho o o ho oh o o ho oh o o oh o o mahiya

शिखर, से भी ऊँचा।
अजय, तेरा, गम।
ऊंचाई से, गिरने दो सारे वहम।

करने लगी, बारिशें भी ज़िकर।
आज है दर्द, सहने का तुझमें हुनर।
आँखों से मेरे, बरसता है सावन।
भीगे से रहते हैं, दिन रात हम।

O mahiya o mahiya o mahiya o mahiya
O ho ho o o ho oh o o ho oh o o oh o o mahiya

Poetry
पहाड़ सा ऊँचा, ग़म लेके बैठे हो।
उस ऊंचाई से, गिरते झरने के जैसी।
रोते आंसुओं को, ख़ुद में समा जाने का हुनर।
सावन के लिए, ये बात है ज़रा सी।