Vishal Dadlani
Vashmalle
अरे रा रा…
रात पावने बारह पे डाल के शरारा
बघदड से मंगायी रात है

हाल से मलंगी है चाल से फिरंगी
शैतान की लुगाई रात है
इसकी अदा मै कोहिनूर का जमाल है

शौक़्किन है मिजाज से मिया कमाल है
अंगूर के निछोड मै नहा के आयी है
मौके का फायदा उठा ले…..

अरे रा रा…
हूड-दंग मचे शोर मचे हल्ले
ए अरे रा रा…

जब तक ना ढले रात जशन करले
हा थिरक थिरक थिरक थिरक झूम ले
वश्मल्ले, वश्मल्ले

वश्मल्ले यारा वश्मल्ले……२
काजी बोले पिना पाप है

लेकीन अपनी तबियत मदिरा छाप है
ना बंधू ना सखा, अपना कौन सगा
इक साक़ि हि माई बाप है
पी के फान्नेय खान बन जायेसंगे
गाना आता ना हो फिर भि गायेंगे
सूर बेहाल तो क्या

छोटे ताल तो क्या
इतनी भूल चूक माफ है

सूरज को डूबने से पेहले हि सलाम है
होती पिया कडो की दोपहर भि शाम है
गुस्ताख जोश ने जरा टांगदी जो मार दि

देखो जमीन पे होश गिर पडा धड्म है
अरे रा रा…
हूड-दंग मचे शोर मचे हल्ले
ए अरे रा रा…
जब तक ना ढले रात जश्न करले
हा थिरक थिरक थिरक थिरक झूम ले

वश्मल्ले, वश्मल्ले
वश्मल्ले यारा वश्मल्ले……२



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