Mohammed Rafi
Kabhi Na Kabhi Kahin Na Kahin
कभी ना कभी, कहीं ना कहीं
कोई ना कोई तो आएगा
कभी ना कभी, कहीं ना कहीं
कोई ना कोई तो आएगा
अपना मुझे बनाएगा, दिल में मुझे बसाएगा
कभी ना कभी, कहीं ना कहीं
कोई ना कोई तो आएगा
कब से तनहा घूम रहा हूँ दुनियाँ के वीराने में
ख़ाली जाम लिए बैठा हूँ कब से इस मयख़ाने में
कोई तो होगा मेरा साक़ी, कोई तो प्यास बुझाएगा
कभी ना कभी, कहीं ना कहीं
कोई ना कोई तो आएगा
किसी ने मेरा दिल ना देखा, ना दिल का पैग़ाम सुना
मुझको बस आवारा समझा जिसने मेरा नाम सुना
अब तक तो सब ने ठुकराया, कोई तो पास बिठाएगा
कभी ना कभी, कहीं ना कहीं
कोई ना कोई तो आएगा
कभी तो देगा सन्नाटे में प्यार भरी आवाज़ कोई
कौन ये जाने कब मिल जाए रस्ते में हमराज़ कोई
मेरे दिल का दर्द समझ कर दो आँसू तो बहाएगा
कभी ना कभी, कहीं ना कहीं
कोई ना कोई तो आएगा
अपना मुझे बनाएगा, दिल में मुझे बसाएगा
कभी ना कभी, कहीं ना कहीं
कोई ना कोई तो आएगा
कोई ना कोई तो आएगा