धूप जब सताए
आँचल से ढक लेती हो
चोट जब भी आए
संग मेरे रो देती हो
ताबीज़ जो मैं निकाल दूँ
परेशां हो जाती हो तुम
किसी की बुरी नज़र लग जाएगी
प्यार से बताती हो तुम
ओ माँ याद आती हो
ओ माँ याद आती हो
ओ माँ याद आती हो
कहना तेरा जो ना मानूँ
इक अजीब सा दर्द होता है
आँखें भले ही ना रोयें
पर दिल ये मेरा रोता है
मुझे भी फिकर तेरी है माँ
पर मैं कहता नहीं
तेरा यूँ चुप रहना माँ
अच्छा मुझे लगता नहीं
ओ माँ याद आती हो...