Amit Trivedi
Vande Mataram
जूतों के फीते बाँध कर
कंधों पे बसते लाद कर
टुकड़ी हम बेपरवाहों की
चल पड़ने को तैयार है
कट्टी है अपनी नींद से
ज़िम्मेदारी से प्यार है
मरने से ना कतराते है
डर जाने से इनकार है
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्
खाई है तेरी हिफाज़त की कसम
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्
देखे कितना तेरे दुश्मन है दम
ना कोई शाबाशी, ना कोई ताली
ड्यूटी पे कटती है, ईद और दिवाली
जोखम लेने के बदले मिलती है
घर पे रूठी-रूठी सी घरवाली, घरवाली
घरवाली का दिल तोड़ कर
गृहस्थी पीछे छोड़ कर
पलटन हम जैसे बाज़ों की (बाज़ों की)
फिर उड़ने को तैयार है
(उड़ने को तैयार है)
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्...