Kishore Kumar
Koi Hamdam Na Raha
कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा
हम किसी के ना रहे, कोई हमारा ना रहा
कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा
शाम तन्हाई की है, आएगी मंज़िल कैसे?
शाम तन्हाई की है, आएगी मंज़िल कैसे?
जो मुझे राह दिखाए वही तारा ना रहा
कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा
क्या बताऊँ, मैं कहाँ यूँ ही चला जाता हूँ
क्या बताऊँ, मैं कहाँ यूँ ही चला जाता हूँ
जो मुझे फिर से बुला ले वो इशारा ना रहा
कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा
हम किसी के ना रहे, कोई हमारा ना रहा