हो, अली अली अली
हो, अली अली अली
अल्लाह मालिक तू मालिक
तू दे दीदार दे दे
हो, अली मेरा वली
अल्लाह मालिक तू मालिक
तू दे दीदार दे दे
जागी रे शोहरतें मंज़िलें
सब हैं मिट्टी तेरे दर तले
कोई सब कुछ मिटा के मिटे
कोई खुद को जला कर जले
ये फ़िज़ूल नहीं हैं जो कहते हैं
मालिक अल्लाह है
हो, अली अली अली...
(अली अली अली अली
अली अली अली अली)
जहाँ में वो ही तन्हा है
जो तुझसे बिछड़ा है
यकीनन तू रहनुमा
तू रास्ता सब का है
ये फ़िज़ूल नहीं हैं...
मरहबा अपनी मर्ज़ी से हम
उनकी आगोश में रहते हैं
बाखुदा अब तो सब लोग भी
हमें मलंग कहते हैं
ये फ़िज़ूल नहीं हैं...