Iqbal
Gerua
[Verse 1: Arijit Singh & Antara Mitra]
धूप से निकल के
छाँव से फिसल के
हम मिले जहाँ पर
लम्हा थम गया
आसमां पिघल के
शीशे में ढल के
जम गया तो तेरा
चेहरा बन गया

[Chorus: Arijit Singh & Antara Mitra]
दुनिया भुला के तुमसे मिला हूँ
निकली है दिल से ये दुआ
रंग दे तू मोहे गेरुआ
रांझे की दिल से है दुआ
रंग दे तू मोहे गेरुआ
हाँ, निकली है दिल से ये दुआ
हो-हो, रंग दे तू मोहे गेरुआ

[Instrumental-break]

[Verse 2: Arijit Singh & Antara Mitra]
हो तुमसे शुरू, तुमपे फ़ना
है सुफियान ये दास्तां
मैं कारवां मंज़िल हो तुम
जाता जहां को हर रास्ता
तुमसे जुदा जो
दिल ज़रा संभल के
दर्द का वो सारा
कोहरा छन गया

[Chorus: Arijit Singh]
दुनिया भुला के तुमसे मिला हूँ
निकली है दिल से ये दुआ
रंग दे तू मोहे गेरुआ
हो-हो, रांझे की दिल से है दुआ
रंग दे तू मोहे गेरुआ

[Instrumental-break]

[Verse 3: Arijit Singh & Antara Mitra]
हो वीरान था, दिल का जहां
जिस दिन से दाखिल हुआ
इक जिस्म से है इक जान का
दर्ज़ा मुझे हासिल हुआ
हाँ, फीके सारे नाते जहाँ के
तेरे साथ रिश्ता गहरा बन गया

[Instrumental-break]

[Chorus: Arijit Singh & Antara Mitra]
दुनिया भुला के तुमसे मिला हूँ
निकली है दिल से ये दुआ
रंग दे तू मोहे गेरुआ
रांझे की दिल से है दुआ
रंग दे तू मोहे गेरुआ
हाँ, निकली है दिल से ये दुआ
हो रंग दे तू मोहे गेरुआ